Britain: ब्रिटेन इस समय 1976 के बाद की सबसे गंभीर सूखे की स्थिति से गुजर रहा है. पांच क्षेत्रों को आधिकारिक तौर पर सूखा-ग्रस्त घोषित किया जा चुका है जबकि छह अन्य इलाकों में लंबे समय से बारिश की कमी बनी हुई है. पिछले छह महीनों में देश में बारिश का स्तर बेहद कम रहा है और अगस्त में भी हालात सुधरने की संभावना नहीं दिख रही. नदियां और जलाशय सिकुड़ रहे हैं जिसके चलते सरकार पानी बचाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है.
सरकार की अनोखी डिजिटल सलाह
कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली यूके सरकार ने पानी बचाने के लिए सामान्य सुझाव दिए जैसे बरसात का पानी इकट्ठा करना, लीकेज ठीक करना, नहाने का समय कम करना और लॉन को पानी देने से बचना. लेकिन इन व्यावहारिक उपायों के साथ एक चौंकाने वाला सुझाव भी जोड़ा गया पुरानी ईमेल और तस्वीरें डिलीट करना. सरकार का कहना है कि डेटा सेंटर अपने सिस्टम को ठंडा रखने के लिए भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करते हैं और पुराने डिजिटल डेटा को हटाने से इन पर दबाव कम होगा.
विशेषज्ञों की आपत्ति
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह सलाह व्यावहारिक रूप से पानी बचाने में ज्यादा मदद नहीं करेगी. कुछ डेटा सेंटर वाकई पानी आधारित कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अधिकांश पानी और ऊर्जा की खपत उच्च-स्तरीय कंप्यूटिंग कार्यों (जैसे AI मॉडल चलाना या वीडियो स्ट्रीमिंग) में होती है न कि वर्षों पुराने फोटो या ईमेल स्टोर करने में. कई स्टोरेज ड्राइव लंबे समय तक निष्क्रिय अवस्था में रहते हैं जिससे उनका पानी और बिजली पर असर बेहद कम होता है.
उल्टा असर भी हो सकता है
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर बड़े पैमाने पर फाइल डिलीट की जाती हैं तो इस प्रक्रिया में अतिरिक्त ऊर्जा और पानी की खपत हो सकती है जिससे यह कदम उल्टा असर डाल सकता है. एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ब्रिटेन के नागरिकों का सारा क्लाउड डेटा जरूरी नहीं कि ब्रिटेन में ही स्टोर हो.
अगर कोई यूज़र डेटा डिलीट भी करता है और वह किसी अन्य देश के डेटा सेंटर में मौजूद है तो पानी बचाने का असर वहां होगा, न कि ब्रिटेन में. चूंकि देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो डेटा को सिर्फ घरेलू सर्वरों पर रखने के लिए बाध्य करे इसलिए इस सलाह का प्रभाव सीमित रह सकता है.