125 वर्षों से पोला मनाने की अनोखी परम्परा, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष.. श्री पवन साहू..

संवाददाता – धनकुमार कौशिक, बिहान न्यूज़ 24×7 बलौदा बाजार

बलौदा बाजार(डोंगरा) : बलौदा बाजार जिला अंतर्गत लवन तहसील से महज 2 कि०मी० दूर समीप ग्राम पंचायत कोरदा में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व में से एक पोला पर्व बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ पूरे गांव के लोग मिलकर एकसाथ मनाते है इस गांव के तालाब पार में एक बाजार लगता है जहां महिलाएं ,बच्चे मिलकर मिट्टी के घर घुधीया ( मिट्टी के घर) बनाते हैं और उसमें कागज एवं अन्य सामग्रियों से विभिन्न प्रकार के खिलौने लगाकर दुकान सजाकर बेचने बैठे रहते हैं जिसे सिर्फ रोटी पकवान देकर ही खरीदा जा सकता है मिली जानकारी के अनुसार आजादी के पूर्व से चली आ रही यह अनोखी पोला पर्व मनाने का परंपरा आज भी कायम है।

वही बतौर मुख्य अतिथि श्री पवन साहू ने बताया कि ग्राम पंचायत कोरदा में यह पोला त्योहार मनाने का एक अनोखा पर्व है जो एक दशक से ज्यादा समय तक चले आ रहे हैं,ऐसे अनोखी परंपरा पर मुझे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ उसके लिए मै समस्त आयोजक एवं ग्रामवासी कोरदा का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं , और भविष्य में और अच्छे से इस अनोखी पोला त्योहार का आयोजन भव्य तरीके से हो, जो कि आने वाले भविष्य में लोग एक यादगार बना रहे।
ओर मुख्य अतिथि श्री पवन साहू जी ने आयोजकों को नगद 10 हजार की राशि नगद देकर उत्साह वर्धन किया।

ग्राम पंचायत कोरदा में पोला पर्व महोउत्सव मनाने का अनोखी परम्परा है यहां लगभग 125 वर्षो से भी पहले की चली आ रही है यह पोला पर्व मनाने के तरीके को देखने के लिए आसपास लोग लवन, डोंगरा, अहिल्दा, बरदा, जामडीह, कोलिहा, सरखोर, सोलहा, मुण्डा, सहित सैकड़ों गांवों के लोग बडी संख्या में पोला पर्व देखने कोरदा गांव पहुंचते है ज्ञात हो कि कोरदा गाँव के लोग कई महीने पहले से ही पोला पर्व की तैयारी में जुट जाते है। यंहा पुरूष वर्ग के लोग मिट्टी के विभिन्न खिलौना, कागज के फुल, रोटी में बेचने के लिये बनाते है तो वही महिलाएं घर घुंदिया बनाने में लगी रहती है पोला पर्व के दिन दोपहर दो 3 बजे से प्रारंभ होकर देर रात्रि तक मनाया जाता है इस एक दिवसीय पोला मेला में लगी खिलौने के दुकानो से पकवान से खिलौने खरीदते है। पोला के दिन कोरदा गांव की महिलाएं पुरूष बच्चे अपने अपने घर छोडकर तालाब पार में अपनी बनाई हुई लम्बा चौड़ा घर घुंदीया में पूरी, बडा, भजिया, ठेठरी, खुरमी आदि विभिन्न पकवान छत्तीसगढ़ी व्यंजन लेकर बैठी रहती है जैसे ही बाजार सज जाता है फिर पकवान से महिलाएं खिलौना लेने के लिए निकलती है विदित हो कि यह खिलौने के बाजार में पैसे से कुछ नहीं मिलता सिर्फ घर में बने पकवानों ठेठरी, खुर्मी, बड़ा,पूरी, भजिया इत्यादि विभिन्न रोटियों से ही खिलौनों की खरीदी की जाती है इसके साथ ही गांव के लोग मिलकर मिट्टी के आकर्षक खिलौने, कागज के डोंगा, फुग्गा, मिट्टी के चिड़िया, नंदी बैला, सहित विभिन्न प्रकार की मनमोहक वस्तुएं रखते है ।

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक