बच्चों में बढ़ता Screen Time बना चिंता का कारण, Mobile की लत से व्यवहार में दिख रहे बदलाव

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भारत में बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम एक गंभीर चिंता का विषय है. अक्सर हमने अपने आसपास और घरों में देखा है कि बच्चे अब बाहर खेलने के बजाय अपना अधिकतर समय मोबाइल के इस्तेमाल में लगा रहे हैं. पढ़ाई से लेकर खेल और दोस्ती तक, सब कुछ स्क्रीन के जरिए होने लगा है. आमतौर पर शहरों में रहने वाले बच्चों में मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा देखा गया है, जिससे उनके पेरेंट्स की चिंता बढ़ गई है. कई माता-पिता का मानना है कि बच्चों द्वारा मोबाइल का बढ़ता इस्तेमाल उनके व्यवहार में भी बदलाव ला रहा है.

बच्चों के माता-पिता का कहना है कि उनके बच्चे मोबाइल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ज्यादा से ज्यादा समय बिता रहे हैं. बच्चे बड़ी मात्रा में सोशल मीडिया, गेमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है.

सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) 2025 के तहत नियम लागू किए हैं, लेकिन बच्चों के माता-पिता का मानना है कि सिर्फ नियम बनाने से समस्या हल नहीं होगी. इसके लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) 2025 के तहत कंपनियों को 18 साल से कम उम्र के बच्चों के डेटा का इस्तेमाल करने के लिए उनके माता-पिता की सहमति लेनी होगी. कंपनियां बच्चों के मोबाइल पर देखी गई सामग्री को ट्रैक नहीं कर सकतीं और न ही उस सामग्री के आधार पर उन्हें कोई प्रचार भेज सकती हैं.

हाल ही में हुए एक सर्वे से चौंकाने वाली बात सामने आई है. भारत के लगभग 302 शहरी स्थानों या जिलों में बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम को लेकर किए गए इस सर्वे के मुताबिक, आधे से ज्यादा माता-पिता ने माना कि उनके बच्चे दिन में 3 घंटे से ज्यादा समय मोबाइल पर बिता रहे हैं.

सर्वे के मुताबिक, लगभग 70 प्रतिशत माता-पिता का मानना है कि उनके बच्चे मोबाइल पर यूट्यूब, स्ट्रीमिंग वीडियो और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं.

माता-पिता ने सर्वे के दौरान यह भी स्वीकार किया कि मोबाइल और सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से बच्चों के व्यवहार में बदलाव आया है. उनके अनुसार बच्चे अब ज्यादा चिड़चिड़े, गुस्सैल और मानसिक रूप से परेशान नजर आ रहे हैं.

सर्वे के मुताबिक, लगभग 61 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे जल्दी सब्र खो देते हैं, जबकि 58 प्रतिशत अभिभावकों का कहना है कि बच्चों में गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ गया है. करीब 50 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे अब ज्यादा उछल-कूद और शैतानी करने लगे हैं और जिद्दी भी हो गए हैं.

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक