CG News: कवर्धा के कामठी में तनाव बढ़ा, कलेक्टर ने किया गांव का दौरा; मंदिर समिति ने भगवा ध्वज फहराया

कवर्धा:  कवर्धा के कामठी गांव में मदिर के गुबंज में भगवा झंडा लहराने को लेकर एक बार फिर विवाद की स्थिति बन सकती है. क्योंकि गांव में नवरात्रि पर्व में माता दुर्गा प्रतिमा स्थापना को लेकर पहले से ही गांव के दो पक्षों में विवाद रहा है. गांव में समाजिक सद्भाव बनी रहे और हालात न बिगड़े इसके मद्देनजर कलेक्टर खुद ग्रामीणों के बीच पहुंचे और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की.

दरअसल, महाअष्टमी के दिन हुआ ये कि मंदिर समिति और ग्रामीणों ने साथ मिलकर मंदिर के गुम्बज पर भगवा ध्वज लगा दिया, जबकि वहां पहले से ही गोंडवाना धर्म का सतरंगी झंडा लहर रहा था. इसी के चलते एक बार फिर विवाद की आशंका गहराने लगी है. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि दोनों झंडों के लगे रहने से उन्हें आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर भगवा ध्वज को हटाने पर टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है.

ग्रामीणों की सहमति से लगाया भगवा ध्वज : मंदिर समिति अध्यक्ष

मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि हमने ग्रामीणों की सहमति से भगवा ध्वज लगाए हैं. हमें सतरंगी झंडों से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर हमारे ध्वज को हटाया गया तो, वही स्थिति बन जाएगी जो पिछली बार हुई थी.

कलेक्टर पहुंचे कामठी गांव

संवेदनशील स्थिति को देखते हुए कलेक्टर गोपाल वर्मा खुद कामठी पहुंचे. यहां उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत कर दोनों पक्षों को समझाइश दी. अगर दोनों पक्ष अगर सामंजस से दोनों धर्मो के झंडे लगाए तो शासन-प्रशासन को कोई दिक्कत नहीं है. 

लोगों को एकत्रित कर हो रही बात : गृहमंत्री शर्मा

कामठी गांव में तनाव की आशंका के बीच गृहमंत्री विजय शर्मा का बयान सामने आया है. गृहमंत्री शर्मा ने कहा कि नवरात्रि के प्रारंभ से पहले उसी जगह पर खड़े होकर कहा था कि माता वही विराजेंगी और वही विराजी भी हैं. प्रशासनिक व्यवस्था लगाई गई है और पूरी परंपराओं के साथ काम किया जा रहा है. जो कुछ भी वहां हो रहा है, उसके बारे में लोगों को एकत्रित करके वहां बताया जा रहा है. पूरा ध्यान वहां बनाए हुए हैं. 

परिसर में स्थापित हैं कई मंदिर

गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी झंडा बदलने को लेकर कामठी में बड़ा विवाद हुआ था. जिस मंदिर में भगवा झंडा लहराया गया, उसी कैंपस में कई अन्य मंदिर भी स्थित हैं. जिनमें आदिवासी समाज के बूढ़ादेव का मंदिर भी शामिल है.

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक