Bilaspur Accident Update: साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल था लोको पायलट, जांच में बड़ा खुलासा

Bilaspur Accident Update: बिलासपुर रेल हादसे में शुक्रवार को एक बड़ा खुलासा हुआ है. नए खुलासे से रेलवे की लापरवाही उजागर हुई है. सूत्रों के मुताबिक मेमू ट्रेन चला रहा लोको पायलट साइकोलॉडिकल टेस्ट में फेल हो गया था, बावजूद उसे न केवल प्रमोट किया गया, बल्कि लोको पायलट बनाया गया और ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई. 

साइको टेस्ट में फेल था लोको पायलट, फिर भी चला रहा था ट्रेन

रिपोर्ट के मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त हुई मेमू ट्रेन को चलाने वाला लोको पायलट साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो गया था, बावजूद इसके रेल अफसरों द्वारा उसको ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी गई. यह खुलासा सीआरएस जांच में हुआ है, जो हादसे की मुख्य वजह बनी थी, जिसमें 11 लोगो की जान चली गई और 20 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए.

रेल अफसरों ने दी थी अनुमति, नियमों को किया था नजरअंदाज

दरअसल, मालगाड़ी लोको पायलट को मेमो या पैसेंजर ट्रेन में प्रमोट करने से पहले पीडीसी ट्रेनिंग होती है. इस ट्रेनिंग के पूरा होने के बाद साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है. अगर लोको पायलट इसमें फेल हो जाता है तो उसे अति आवश्यक स्थिति में ही मेमू ट्रेन चलाने के लिए दी जाती है, लेकिन रेलवे के अफसरों ने बावजूद उसको प्रमोट कर मेमू ट्रेन चलाने दिया.

साइको टेस्ट में फेल लोको पायलट को ही दिया जाता है असिस्टेंट 

साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल लोको पायलट को अति आवश्यक स्थिति में ही मेमू ट्रेन चलाने के लिए दी जाती है, लेकिन उसके साथ असिस्टेंट लोको पायलट को भी लगाया जाता है. नियम है लोको पायलट अगर साइको टेस्ट पास कर लिया है तो मेमू ट्रेन चलाने के लिए अकेले काफी होता है, उसके साथ कोई असिस्टेंट लोको पायलट नहीं दिया जाता है.

पीडीसी ट्रेनिंग के बाद मेमू लोको पायलट ने दिया था साइको टेस्ट

बिलासपुर रेल हादसा केस में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि लोको पायलट विद्यासागर ने करीब एक महीना पहले पीडीसी ट्रेनिंग करने के बाद साइकोलॉजिकल टेस्ट दिया था, जिसमें वह फेल हो गया था. इसलिए उनके साथ मेमू ट्रेन चलाने के लिए असिस्टेंट लोको पायलट की ड्यूटी लगाई गई थी.

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक