हत्या की कोशिश के आरोपी को 7 साल की सजा, न्यायालय ने सुनाया फैसला

निखिल वखारिया

गरियाबंद। अपर सत्र न्यायालय गरियाबंद ने हत्या के प्रयास के एक गंभीर मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश तजेश्वरी देवी देवांगन ने थाना छुरा के इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान थनवार निषाद (निवासी रानीपरतेवा, थाना-छुरा) को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी पाया और उसे 7 साल की सश्रम कैद और 1,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड का भुगतान न करने की स्थिति में आरोपी को 6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।


घटना का विवरण

मामले की शुरुआत 10 नवंबर 2021 को हुई थी, जब प्रार्थी भोजराम साहू ने थाना छुरा में रिपोर्ट दर्ज कराई। भोजराम ने बताया कि वह ग्राम करकरा का निवासी है और खेती-किसानी करता है। उसने ग्राम करकरा के बाहरानार खार में स्थित अपनी कृषि भूमि में धान कटाई के लिए मजदूरों को बुलाया था।

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घटना के दिन, सुबह 9 बजे मजदूर धान फसल काट रहे थे, तभी ग्राम रानीपरतेवा का निवासी थनवार निषाद अचानक वहां पहुंचा और मजदूर रेखाबाई यादव को धमकाते हुए कहा, “आज तुझे जान से मार दूंगा।” इसके बाद उसने तलवार जैसी धारदार लोहे की पट्टी से रेखाबाई पर प्राणघातक हमला कर दिया।

हमले में गंभीर रूप से घायल हुई महिला

हमले के दौरान रेखाबाई यादव के बाएं कान और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। जब आरोपी ने दोबारा वार किया, तो रेखाबाई ने अपना हाथ आगे कर आत्मरक्षा की, जिससे उसके दाहिने हाथ की उंगलियों, हथेली और कलाई पर गहरी चोटें आ गईं।

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घटना को देख मजदूर और भोजराम साहू बीच-बचाव के लिए दौड़े, तो आरोपी थनवार निषाद खेत में हथियार छोड़कर वहां से भाग गया। घायल रेखाबाई को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र छुरा ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे रायपुर रेफर कर दिया।


पुरानी रंजिश बनी हमले की वजह

जांच में यह सामने आया कि थनवार निषाद और रेखाबाई यादव के पति जगमोहन के बीच पहले से ही विवाद चल रहा था। आरोपी ने इस घटना से पहले जगमोहन के साथ भी मारपीट की थी, जिसकी रिपोर्ट पहले ही थाना छुरा में दर्ज कराई जा चुकी थी और वह मामला न्यायालय में लंबित था।

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पुरानी रंजिश के चलते ही आरोपी ने रेखाबाई यादव पर जानलेवा हमला किया था।


न्यायालय का फैसला

सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार दिया और उसे 7 साल की सश्रम कारावास और 1,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। यदि आरोपी अर्थदंड का भुगतान नहीं करता, तो उसे अतिरिक्त 6 महीने की सजा भुगतनी होगी।

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इस फैसले से पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है और यह अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश भी है कि कानून से बच पाना आसान नहीं है।


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Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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