निखिल वखारिया।
गरियाबंद, 30 अप्रैल 2025।
देश की आज़ादी के बाद पहली बार जाति आधारित जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला केंद्र सरकार द्वारा लिया गया है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक नई शुरुआत मानी जा रही है।
इस निर्णय का देशभर में स्वागत किया जा रहा है। इसी क्रम में गरियाबंद जिले के भाजपा जिला अध्यक्ष अनिल चंद्राकर ने केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना की है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय बताते हुए कहा कि इससे करोड़ों वंचित, पिछड़े और समाज के उपेक्षित वर्गों की सही सामाजिक स्थिति सामने आ सकेगी।
“वास्तविक आंकड़ों के बिना सही योजनाएं संभव नहीं”
अनिल चंद्राकर ने कहा कि अब तक देश में विभिन्न वर्गों के विकास के लिए योजनाएं तो बनीं, लेकिन उनकी सटीक ज़मीनी ज़रूरतों का आकलन नहीं हो सका। जाति आधारित जनगणना से यह स्पष्ट हो जाएगा कि किन वर्गों को वास्तव में कितनी और कैसी सहायता की आवश्यकता है। यह निर्णय सामाजिक समानता और संतुलन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
2026 के अंत तक आ सकते हैं आंकड़े
केंद्रीय सरकार के अनुसार, जाति जनगणना मुख्य जनगणना प्रक्रिया के साथ की जाएगी। इसकी शुरुआत संभवतः सितंबर 2025 में हो सकती है और अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में जारी किए जाएंगे।
“पारदर्शी और निष्पक्ष होगी प्रक्रिया”
जिला अध्यक्ष चंद्राकर ने विश्वास जताया कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, वैज्ञानिक और निष्पक्ष ढंग से संपन्न होगी। इससे देश को एक नई सामाजिक समझ मिलेगी और नीतियों को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जा सकेगा।
उन्होंने अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला सामाजिक समरसता और समावेशी विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
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