Exercise Trishul 2025: अभ्यास त्रिशूल में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ बीएसएफ और तटरक्षक बल ने संयुक्त वॉर क्षमता, तालमेल और आधुनिक तकनीकी दक्षता का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। इस बार के त्रिशूल अभ्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक मल्टी-डोमेन (बहु-क्षेत्रीय) युद्धाभ्यास है — जो पारंपरिक थल, जल और वायु क्षेत्र से आगे बढ़कर अब अंतरिक्ष और साइबर जगत तक पहुंच गया है। अंतरिक्ष: रणनीतिक शक्ति का नया आधार,इस श्रृंखला के अभ्यास में पहली बार अंतरिक्ष आधारित संचार, निगरानी और टोही प्रणाली (surveillance & reconnaissance systems) को व्यापक रूप से संचालन ढांचे में शामिल किया गया है।
सैन्य अंतरिक्ष क्षमताओं का प्रदर्शन
सैटेलाइट इमेजरी और रीयल-टाइम डाटा की मदद से कमांडर अब दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं, मिसाइल प्रक्षेप पथ का विश्लेषण कर सकते हैं और सटीक हमलों की योजना बना सकते हैं। अंतरिक्ष आधारित संसाधनों का उपयोग सुरक्षित संचार, नेविगेशन और टार्गेटिंग के लिए भी किया जा रहा है, जो भारत की बढ़ती सैन्य अंतरिक्ष क्षमताओं को दर्शाता है। ये प्रयास भारत के उस दृष्टिकोण को सशक्त करते हैं जिसमें अंतरिक्ष को एक “फोर्स मल्टीप्लायर” के रूप में देखा जा रहा है — ताकि सभी युद्ध क्षेत्रों में निरंतर और एकीकृत समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।
साइबर युद्ध
अदृश्य रणभूमि,अंतरिक्ष संचालन के साथ-साथ साइबर युद्ध और साइबर सुरक्षा अभियानों को भी त्रिशूल अभ्यास में प्रमुख स्थान दिया गया है। डिफेंस साइबर एजेंसी (Defence Cyber Agency – DCA) की विशेष इकाइयां आक्रामक और रक्षात्मक साइबर मिशन चला रही हैं, जिनमें नेटवर्क में घुसपैठ, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, और संचार नेटवर्क पर हमले जैसी गतिविधियां शामिल हैं।इन अभियानों के माध्यम से यह परखा जा रहा है कि सशस्त्र बल डिजिटल व्यवधानों के दौरान भी अपने अभियानों को कैसे जारी रख सकते हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य साइबर निगरानी, डेटा की अखंडता और इलेक्ट्रॉनिक प्रतिकार उपायों के माध्यम से जानकारी पर नियंत्रण (Information Dominance) की क्षमता को और मज़बूत बनाना है — जो आधुनिक संकर (Hybrid) युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाती है।
ड्रोन शक्ति
युद्धक्षेत्र का नया आयाम,अभ्यास त्रिशूल में इस बार ड्रोन तकनीक का व्यापक उपयोग देखा गया है — जिसमें निगरानी, रसद आपूर्ति, कामिकाज़े (आत्मघाती) और आक्रामक हमले जैसे अभियान शामिल हैं। ये मानवरहित प्रणालियाँ (Unmanned Systems) वास्तविक समय में युद्धक्षेत्र की जानकारी उपलब्ध करवा रही हैं, दुर्गम इलाकों में सामग्री पहुँचा रही हैं, और सटीक निशाने पर हमले कर रही हैं।
भारतीय सेना
• SWITCH UAVs और Netra Drones उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में निगरानी और टोही के लिए।
• Nagastra-1 loitering munitions सटीक कामिकाज़े हमलों के लिए।
• टैक्टिकल क्वाडकॉप्टर अग्रिम मोर्चे पर रसद आपूर्ति के लिए।
भारतीय वायुसेना
• Heron और अन्य UAVs दीर्घकालिक निगरानी के लिए।
• स्वदेशी मध्यम ऊँचाई, लंबी अवधि (MALE) ड्रोन संचालन के लिए।
• एयर डिफेंस और कॉम्बैट ड्रोन के विकास पर कार्यरत।
भारतीय नौसेना
• MQ-9B SeaGuardian ड्रोन समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए।
• Harop ड्रोन जहाज आधारित टोही और एंटी-रडार मिशनों के लिए।
