प्रदूषण बेरोजगारी और सड़क हादसे से कराह रही सिंगरौली मे मनेगा महोत्सव

राम लखन पाठक

पानी की तरह बहेगा पैसा लेकिन स्थानीय कलाकारों को नहीं मिलेगा फूटी कौड़ी

सिंगरौली, सिंगरौली जिले में प्रदूषण की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि हवा में पूरी तरह से जहर घुल चुका है इस जिले का पानी पीने लायक नहीं रह गया है सड़कें चलने लायक नहीं है क्योंकि यहां कोयला और राखड़ लोड बड़े-बड़े माल वाहक वाहन काल बनाकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं यह किसी भी समय किसी को रौंद देते हैं और बेरोजगारी की बात करें तो कंपनियों में मजदूरी का काम भी मिलना मुश्किल हो गया है शिक्षित बेरोजगार घूम रहे हैं कुल मिलाकर सिंगरौली इन सभी दर्दों की वजह से कराह रही है लेकिन जिला प्रशासन एवं जन प्रतिनिधि हर वर्ष की तरह इस बार भी सिंगरौली महोत्सव गौरव दिवस मनाएंगे अब समस्या यह नहीं है कि सिंगरौली का गौरव दिवस क्यों मनाया जा रहा है बल्कि समस्या तब खड़ी हो जाती है जब इस महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं क्योंकि सिंगरौली जिले में पैसे के अभाव में अभी कई ऐसे महत्वपूर्ण कार्य अधर में पड़े हुए हैं जो सिंगरौली महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की इजाजत नहीं देते

महोत्सव के नाम पर खर्च होंगे करोड़ों रुपए

24 मई से शुरू होने वाले सिंगरौली महोत्सव कार्यक्रम के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने वाले हैं यह राशि कहां से आएगी और कितनी राशि किस काम के लिए खर्च हो रही है यह जानकारी जिले के बहुत ही कम लोगों तक सीमित रहेगी सिंगरौली जिले वासियों को इस महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत नहीं कराया जाएगा उन्हें सिर्फ दूर से दर्शक दीर्घा का हिस्सा बनाया जाएगा

स्थानीय कलाकारों को फूटी कौड़ी भी नहीं

सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बाहरी कलाकारों को बुलाकर दो चार प्रस्तुति के बदले लाखों रुपए दिए जाएंगे लेकिन जरूरी नहीं की बाहरी कलाकार समां बांध पाएंगे वहीं स्थानीय कलाकारों को भी भाग लेने का मौका अवश्य दिया जा रहा है लेकिन इन्हें फूटी कौड़ी नहीं मिलेगी, यही वजह है कि कई स्थानीय कलाकार इस महोत्सव में भाग नहीं ले रहे हैं क्योंकि उनका आरोप है कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्थानीय कलाकारों को उपेक्षित किया जा रहा है स्थानीय कलाकार अपने घर से पैसा खर्च कर आडिशन देने के बाद मुख्य कार्यक्रम में भाग ले पाते हैं लेकिन उन्हें सिर्फ एक प्रस्तुति देने का अवसर मिलता है और पुरस्कार के नाम पर कुछ भी नहीं दिया जाता

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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