मैहर की दूसरी मां झांपि भगवती: सिंगरौली के त्रिकूट पर्वत पर स्थित 500 साल पुराना चमत्कारी मंदिर, जहां देवी खुद पुकारती हैं भक्तों को”

राम लखन पाठक

सिंगरौली -सिंगरौली जिले के ग्राम पिपरा झांपि में स्थित मां झांपि भगवती का मंदिर आस्था, रहस्य और चमत्कारों से भरा हुआ है। यह मंदिर करीब 500 वर्षों पुराना है और त्रिकूट पर्वत की 1100 फीट ऊंचाई पर स्थित है। क्षेत्रीय मान्यता है कि यह मंदिर स्वयं मैहर वाली मां शारदा का दूसरा रूप है, जहां देवी स्वयं अपने भक्तों को आवाज देकर बुलाती हैं।

देवी की पुकार से भरता है आस्था का रंग

ग्रामीणों का कहना है कि त्रिकूट पर्वत पर विराजमान मां झांपि भगवती रात के समय अपने भक्तों को आवाज देती हैं। उनकी आवाज पूरे गांव में गूंजती है, जिससे ग्रामीण समझ जाते हैं कि देवी उन्हें दर्शन देने बुला रही हैं। साथ ही यह भी मान्यता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा से पहले माता गांव को चेतावनी देती हैं और उनकी रक्षा करती हैं।

सदियों पुराना मंदिर, कठिन है यात्रा

इस मंदिर तक पहुंचना बेहद कठिन है। यहां पहुंचने के लिए न तो कोई सीढ़ी है, न बिजली की व्यवस्था और न ही पानी की सुविधा। भक्तों को पत्थरों और पथरीले रास्तों पर चलते हुए, घंटों की कठिन यात्रा के बाद दर्शन मिलते हैं। लेकिन भक्तों की श्रद्धा ऐसी है कि नवरात्रि में हजारों लोग हर साल यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

मनोकामनाएं करती हैं पूर्ण

श्रद्धालुओं की मान्यता है कि मां झांपि भगवती सच्चे मन से की गई प्रार्थना को तुरंत सुन लेती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां आकर मां की पूजा-अर्चना करते हैं।

डकैतों ने की थी मूर्ति को खंडित करने की कोशिश

मंदिर के पुजारी सुधीर पांडेय बताते हैं कि कई सौ साल पहले कुछ डकैत इस मंदिर में घुस आए थे और माता की मूर्ति को चुराने की कोशिश की थी। लेकिन लाख प्रयास के बाद भी वे मूर्ति को हिला नहीं सके। क्रोधित होकर उन्होंने मूर्ति को खंडित करने की कोशिश की, जिसके निशान आज भी प्रतिमा पर देखे जा सकते हैं।

झांपि भगवती: लोक आस्था और चमत्कार का संगम

झांपि भगवती का यह मंदिर आज भी एक बड़ा तीर्थ स्थल बनता जा रहा है, जहां देवी की अद्भुत शक्ति और भक्तों की अटूट श्रद्धा का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। माता की पुकार और उनकी चमत्कारी कथाएं क्षेत्र भर में प्रसिद्ध हैं और इस वजह से झांपि भगवती को “मैहर वाली माता” का दूसरा स्वरूप कहा जाता है।

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Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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