बलौदाबाजार-भाटापारा जिले का नाम बदलेगा, ‘जिला गुरु घासीदास धाम’ नामकरण और राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित करने की प्रक्रिया शुरू

निखिल वखारिया,

बलौदाबाजार-भाटापारा, 12 मार्च 2025 – छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बलौदाबाजार जिले का नाम बदलकर “जिला गुरु घासीदास धाम” करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह परिवर्तन छत्तीसगढ़ के महान समाज सुधारक संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा जी की स्मृति में किया जा रहा है। इसके साथ ही, इस स्थान को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित करने की भी पहल की जा रही है।

राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग से निर्देश

राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार, बलौदाबाजार जिले का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए आगे बढ़ाया गया है। 22 जनवरी 2025 को इस संबंध में एक पत्र (GENS-2101/58/2025-REVENUE/7-3) जारी किया गया था। इस पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि संत गुरु घासीदास बाबा जी की महान शिक्षाओं और उनके अनुयायियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए जिले का नाम “जिला गुरु घासीदास धाम” करने का निर्णय लिया गया है।

संत गुरु घासीदास बाबा जी का योगदान

छत्तीसगढ़ के महान संत गुरु घासीदास बाबा जी ने समाज में व्याप्त छुआछूत, भेदभाव और अन्य कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने सत्य, अहिंसा और समानता पर आधारित “सतनामी संप्रदाय” की स्थापना की, जो आज भी लाखों अनुयायियों का मार्गदर्शन कर रहा है। उनका संदेश “सतनाम वाणी” के रूप में समाज में व्याप्त है, जिसमें सत्य और न्याय की राह पर चलने का संदेश दिया गया है।

उनके अनुयायियों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि बलौदाबाजार जिले का नाम बदलकर “जिला गुरु घासीदास धाम” किया जाए ताकि उनकी शिक्षाओं को और अधिक प्रभावी तरीके से प्रचारित किया जा सके।

राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग

इस नाम परिवर्तन के साथ ही बलौदाबाजार को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। राज्य शासन की ओर से यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा ताकि इसे आधिकारिक रूप से तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता मिले। इस कदम से संत गुरु घासीदास बाबा जी के अनुयायियों को एक आध्यात्मिक स्थल मिलेगा और धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

आम जनता और समाज के नेताओं की प्रतिक्रिया

इस निर्णय पर सतनामी समाज और स्थानीय नागरिकों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। संत गुरु घासीदास बाबा जी के अनुयायी इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं और इसे एक ऐतिहासिक निर्णय मान रहे हैं।

हालांकि, कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि इस विषय पर जनता के साथ विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए थी। उनका कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि वह आम जनता और विभिन्न सामाजिक संगठनों से परामर्श करके अंतिम निर्णय ले।

आगे की प्रक्रिया

कलेक्टर कार्यालय को निर्देश दिया गया है कि वह इस प्रस्ताव से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों को तैयार कर उच्च अधिकारियों को सौंपे। इसके बाद, राज्य सरकार इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजेगी।

नाम बदलने और तीर्थ स्थल घोषित होने के प्रभाव

  • धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी
  • गुरु घासीदास बाबा जी के विचारों का व्यापक प्रचार-प्रसार होगा
  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा
  • सतनामी समाज के लोगों को अपनी आस्था का एक प्रमुख केंद्र मिलेगा

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिया गया यह निर्णय ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गुरु घासीदास बाबा जी की शिक्षाओं को संरक्षित करने और उनकी स्मृति को सम्मान देने के उद्देश्य से किया गया यह बदलाव, न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बल्कि धार्मिक पर्यटन के विकास के दृष्टिकोण से भी काफी अहम साबित हो सकता है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को कब तक मंजूरी देती है और इसे आधिकारिक रूप से लागू किया जाता है।

(बिहान न्यूज़24×7 खबरे हमारी , भरोसा आपका)

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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